Thursday, January 27, 2011

दिल-इ-नादाँ


एक ही घर बहूत है दिल तेरे रहने  के लिए
दिल-इ-नादाँ कई घर न बना ठहरने के लिए
प्यार कर सिर्फ एक ही से खुस रहने के लिए
एक जाम मुहब्बत का काफी है बहकने के लिए
तेरे ही इश्क का कायल है यह मेरा दिल
और दूजा घर न चाहिए इसे रहने के लिए
एक तेरे सपने ने दिखाया जन्नत का नजारा
दूजा सपना न चाहिए इसे  बहलने के लिए
कांपे है ये मन तेरे बिछड़ने के खौफ से
एक तेरा साथ बहुत है दिल को धरकने के लिए
तेरे आस पे ही टिकी है जिंदगानी मेरी
इसे ऐसे छोर के न जा तड़पने के लिए

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