Monday, April 22, 2013



मैं तेरे बिन कुछ भी नहीं
जैसे बिन पानी के बदरा 

सबकी नजर है मुझपे जबसे 
बनीहो, मेरी दिलबरजानी 

देखू  तुझे तो नजर न हटे 
ये है खुदा की मेहरबानी 

तेरी अंखियों में डूबकर 
कर लूं सफल अपनी जिंदगानी 

तेरे दो सुन्दर नैनो का क्या कहना 
चेहरे पर पर इतना अच्छा पानी 

कस्तूरी सा महके तेरा बदन 
जैसे तू अप्सरा की रानी 

Saturday, April 20, 2013



अपने हुए पराये , पराये अपने हो गए 
क्या दौर आ गया है , क्या दौर आ गया है 

सिर्फ अपनी बात नहीं , घर -२ की यही कहानी 
क्या दौर आ गया है , क्या दौर आ गया है 

सितमगर होता आजाद , मासूम बनता कैदी 
क्या दौर आ गया है , क्या दौर आ गया है 

धर्म के ठेकेदार भी हुए फरेबी , थोड़ी बची इमानदारी 
क्या दौर आ गया है , क्या दौर आ गया है 

इंसान बना हैवान , बेजुबान बना दयालु 
क्या दौर आ गया है , क्या दौर आ गया है