संभल जाओ इंसानो ये दुनिया -ए -फानी है।
कहीं फूल कहीं काटें कहीं पानी ही पानी है ।
इशारे कर रहा खुदा बात ये सब ने मानी है।
कभी जलजला व तूफ़ान से मिटटी में मिलजानी है।
रह जाएगा सब यहीं कुछ साथ नहीं जानी है।
ऐसा लगता है के जैसे हर चीज़ बेगानी है।
करो तिलावत पढ़ो नमाजें साथ यही जानी है।
कुछ न जाएगा इस जग से सब यहीं रह जानी है।
कहीं फूल कहीं काटें कहीं पानी ही पानी है ।
इशारे कर रहा खुदा बात ये सब ने मानी है।
कभी जलजला व तूफ़ान से मिटटी में मिलजानी है।
रह जाएगा सब यहीं कुछ साथ नहीं जानी है।
ऐसा लगता है के जैसे हर चीज़ बेगानी है।
करो तिलावत पढ़ो नमाजें साथ यही जानी है।
कुछ न जाएगा इस जग से सब यहीं रह जानी है।