Friday, December 7, 2012
चमकते चाँद को देखा था
जो कहीं गूम हो गया है
कुसूर मेरी आँखों का है
जो तेरा अक्स ढू न्ढ रहा है
चाँद तो चाँद है तेरा अक्स हो नहीं सकता
ये जालिम दिल ही ऐसा है
जिसे तेरा अक्स कही और दिख गया है
जिसमे तेरा अक्स दिख रहा है
उसका दिल एक तितली की तरह है
जिसका ठिकाना बार बार बदल रहा है
क्योकि ये उसकी फितरत में शामिल हो गया है
तू कभी ऐसी न थी,
जाने तेरे दिल आलम ऐसा क्यों हो गया है
जो कहीं गूम हो गया है
कुसूर मेरी आँखों का है
जो तेरा अक्स ढू न्ढ रहा है
चाँद तो चाँद है तेरा अक्स हो नहीं सकता
ये जालिम दिल ही ऐसा है
जिसे तेरा अक्स कही और दिख गया है
जिसमे तेरा अक्स दिख रहा है
उसका दिल एक तितली की तरह है
जिसका ठिकाना बार बार बदल रहा है
क्योकि ये उसकी फितरत में शामिल हो गया है
तू कभी ऐसी न थी,
जाने तेरे दिल आलम ऐसा क्यों हो गया है
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