Wednesday, October 20, 2010

राही




जिंदगी तुझसे बीछर के मुझे किधर जाना है
तेरे संग ही रहा हूँ तेरे संग ही रहना है 

हम हैं तुम भी हो सब हैं एक राह के मुसाफिर 
जिस हाल में रहे हम सबको चलते ही जाना है 


 मुसाफिर ,उस डगर पे मिलो फिर इत्तफाकन 
जहाँ पे हम  मिले थे वहीँ कदमो को ठहरना है


जिंदगी तुझसे बीछर के मुझे किधर जाना है
तेरे संग ही रहा हूँ  और तेरे संग ही रहना है 



No comments:

Post a Comment