Wednesday, October 20, 2010

सिर्फ एक वोही सबकुछ


गर न होता मैं तो भी खुदा होता 
गर न होते तुम तो भी खुदा होता 

खुदा ने भेजा हमें इस चमन में 
जहाँ जर्रे जर्रे में वो समाया हुआ है 

गर न होती यहाँ रौनक तो क्यों फूल होता 
गर न होती लज्जत जीने में तो क्यों  जीवन होता 

गर न होता मैं तो भी खुदा होता 
गर न होते तुम तो भी खुदा होता 


करम है जो उसने हमें तो इंसान बना दिया 
न चाहा होता सो जाने क्या बनाया होता 

हम तुम न होते तो कोई गम न होता 
गर खुदा न होता तो कुछ भी न होता 

गर न होता मैं तो भी खुदा होता 
गर न होते तुम तो भी खुदा होता 



 

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