सरहद पे भी खड़ी है वो
मैदान में भी लड़ी है वो
फिर क्या बेटा क्या बेटी ?
इस दुनियां की रौनक है वो
हर घर की जननी है वो
फिर क्या बेटा क्या बेटी ?
जो भी इस धरती पे जन्म लिया
माँ की आँचल में खेला है वो
फिर क्या बेटा क्या बेटी ?
आवो मिलकर गुणगान करें हम
क्योंकि सबका तारनहार है वो
फिर क्या बेटा क्या बेटी ?
इंदिराजी, कभी मदर टेरेसा
लक्छमी बाई भी रही है वो
फिर क्या बेटा क्या बेटी ?
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