वो जिंदगी-जिंदगी कैसी जो किसी के काम न आये
वो मौत- मौत कैसी है जो यू ही व्यर्थ चली जाए
प्यार सिर्फ पा लेने का नाम नहीं है यारों
वो प्यार-प्यार कैसा है जो बेजान होती चली जाए
जिंदगी दे नहीं सकते तो लेना कोई काम नहीं यारो
जीने के लिए इस दुनिया में सभी, कुछ कर्म करते है
वो कर्म- कर्म कैसा है जिससे अनर्थ होती चले जाए
जिंदगी को हर कोई अपने तौर पे जी लेता है यारो
वो उम्र- उम्र कैसी है जो बिन इबादत ही ढलती जाए
मुहब्बत एक इबादत है कुछ और न समझो यारो
वो सम्मा-सम्मा कैसी है जो बुझती ही चली जाए
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