दिल की आवाज़
खयालों को सब्दों की माला में पिरोकर लाया हूँ आप सब के लिए
Sunday, July 20, 2014
मिलने का एक बहाना था
हाल -ए - दिल सुनाना था
हंसी दिल का नजराना है
बाकी सबकुछ अफ़साना है
हर दिल को यही समझाना है
यहाँ से किसको क्या ले जाना है
यही पैगाम पहुँचाना था
चिराग -ए -मुहब्बत जलाना था
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